जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
शिव आरती
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की more info आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
On Trayodashi (thirteenth day of your darkish and bright fortnights) one should invite a pandit and devotely make choices to Lord Shiva. Individuals who quick and pray to Lord Shiva on Trayodashi are normally healthier and prosperous.
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥